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आँख पर कविता

आँख पर कविता

आंखें है तो, है सारा जहां।
आंखों के बिना, सब बेकार यहां वहां।

आंखें कर देती है, सब हाल बयां।
जान जाती है सब, जो चाहता है सैयां।

आंखों आंखों में, हो जाती है बातें।
साजन- सजनी की आंखों में ही कट जाती है रातें।

आंखों पर है,बहुत सारे मुहावरे।
पर सबके अर्थ है, बड़े ही न्यारे-न्यारे।

आंख दिखाना, आंखें मटकाना।
लाल आंखें होना, आंखें निकालना।

आंखों का तारा, सबका दुलारा।
आंखों में ले सपने, ईश्वर को पुकारा।

जीवन में कभी, आंखें न झुकाना।
चोरी अन्याय पाप से, डरते रहना।

आंख खुजाए, कभी ना करना।
छोटों को प्यार, बड़ों को आदर देना।

शरीर की आंखों से, सच्ची है मन की आंखें।
हमेशा आंखें रखना खुली, तरक्की पसंद हो सबकी आंखें।

अच्छा देखें, अच्छा दिखाएं।
जीवन में नया, जोश व उत्साह लाए।

पढ़िए :- कविता मन की आँखों से | Kavita Man Ki Aankhon Se


“रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"
हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति (रिसोर्स पर्सन) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते। मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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