हिंदी भाषा के सम्मान में मनाये जाने वाले दिवस को समर्पित हिंदी दिवस की कविता ” हिंदी दिवस आया ” :-

हिंदी दिवस की कविता

हिंदी दिवस पर कविता

हर वर्ष की भांति, हिंदी दिवस आया।
14 सितंबर को, इस वर्ष भी मनाया।

वही पुराना, परंपरागत राग अलपाया।
किसी ने कविता, कहानी व हिंदी का महत्व बतलाया।
पर नया कुछ नहीं आया।

हिंदी, राज से राष्ट्रभाषा हो मांग दोहराया।
हिंदी का महत्व खूब जोर शोर से गाया।

इतने महिमामंडन से हिंदी ही नही, हिंदुस्तान भी शर्माया।
फिर सबको शपथ करवाई।
आगे से सब करेंगे हिंदी में लिखाई।

हिंदी यह सब देखकर मंद मंद मुस्काए।
हिंदी वासियों के दोगले पन पर इतराई।

नेताओं, शासकों की चालबाजी बताई।
साल में 1 दिन ही तो याद रखना है।
बाकी तो अंग्रेजी पर इठलाई।

हिंदी का महिमामंडन करते नहीं थकते।
संतति का प्रवेश, अंग्रेजी मीडियम में हो सिफारिश करते।

हंसराज “हंस” कहता एक दिन ऐसा आएगा।
हिंदुस्तान मे ही नही, विश्व मे हिंदी का परचम लहरायेगा।


रचनाकार का परिचय
हंसराज "हंस"
हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति (रिसोर्स पर्सन) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते। मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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