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हिंदी ग़ज़ल – प्यार की इबादत

हिंदी ग़ज़ल - प्यार की इबादत

 

तुझे तड़पाना शायद उसकी आदत में हो ,
मग़र तेरा हर लम्हा उसकी इबादत में हो

वो देखे तुझे या ना देखे तुझे इससे क्या लेना ,
हो सकता है वो प्यार की ही ग़ुरबत में हो

किसी और से बातें करना तुझे जलाने के लिए ,
उसके प्यार का इज़हार हो इस शरारत में हो

ग़ली से गुज़रते हुए यूं ही उसका आवाज़ देना ,
सबूत है कि उसका हर लफ़्ज़ तेरी इजाज़त में हो

रातों को जागना ‘यशु’ कौन चाहता है इस क़दर ,
क्या पता वो पाग़ल ही तेरी मोहब्बत में हो

पढ़िए :-सच्चे प्यार पर कविता “दिमाग न इश्क़ में लगाना”


यशु जानयशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और लेखक हैं। वे जालंधर सिटी से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं । उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं। वे अपनी उपलब्धियों को अपनी पत्नी श्रीमती मृदुला के प्रमुख योगदान के रूप में स्वीकार करते हैं।

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