हिंदी कविता कई सपने

हिंदी कविता कई सपने

तन्हा बैठकरके खुद से,कई सवाल कर रखे हैं।
हाँ मैंने भी दिल में,कई सपने पाल कर रखे हैं।

जिंदगी की राहों पर, कई ख़याल कर रखे हैं।
कुछ चंद मुट्ठीभर पैसे भी, संभाल कर रखे हैं।
खून-पसीना बहाकर,दर्द-ए-गम को भुलाकर,
कुछ काम जिंदगी में मैंने,बेमिसाल कर रखे हैं।

कुछ ख्वाहिशें,तमन्नाएँ ,भी हलाल कर रखे हैं।
हाँ मैंने भी दिल में,कुछ सपने पाल कर रखे हैं।

एक रुपया कमाकर के, चवन्नी दान कर दी।
अपनी जिंदगी ये मैंने, थोड़ी आसान कर दी।
मंदिर-मस्जिद में जाके,कुछ अर्जियां लगाकर,
दिल की थी उलझनें जो,सारी बखान कर दी।

कुछ काम पहले से ही मैंने,कमाल कर रखे हैं।
हाँ मैंने भी दिल में,कुछ सपने पाल कर रखे हैं।

शायद ही कभी किसी का, दिल मैंने दुखाया हो।
जलता चिराग शायद ही,जानबूझकर बुझाया हो।
खुदा के रहम-ओ-करम से,इक़ चाँद पा लिया है,
हाँ शायद ही कभी उसको,फिजूल में रुलाया हो।

न कभी भी किसी से कोई, मलाल कर रखे हैं।
हाँ मैंने भी दिल में,कुछ सपने पाल कर रखे हैं।

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रचनाकार का परिचय
हरीश चमोलीमेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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