किताबों पर कविता

किताबों पर कविता

सफलता का मार्ग है किताबें
योग्य बनते तुम इनको पढ़के,
जीवन के समस्त रहस्य जानते
पुस्तकों का अध्ययन करके।

अमीर हो या फिर हो गरीब
यह भेद भाव नही किसी से करती,
जो इसको घनिष्ट मित्र बनाता
उसकी झोली खुशियों से भरती।

एकाग्रचित्त होकर जो तुम
इनको पढ़ोगे निरंतर ध्यान से,
उच्च स्तर पर तुम्हे ले जाकर
बिठा देगी आदर और सम्मान से।

सोना, चांदी, और हीरे,मोती
इसके समक्ष कोयले का दाना है,
शब्दों की ताकत को पहचानो
निहित इसमें अनमोल खजाना है।

किताबों से जुड़कर सच होंगे
तेरे मात पिता के अधूरे सपने,
अगर समय नीदो में गवाया
जीवन भर दुख झेलेगे तेरे अपने।

सदैव दो विकल्प होंगे तेरे पास
परिश्रम करना है या आराम,
आलसी बनकर बिताना समय
या ज्ञानी बनकर पाना ईनाम।

अगर जीवन मूल्यवान बनाना
चुनो सफल किताबों की संगत,
अमूल्य विचारों के संग रहकर
बदल जायेगी जीवन की रंगत।

हर एक क्षण की कीमत समझो
सदैव पाओगे सुखद परिणाम,
पुस्तक रूपी मित्र से बाते करके
बन सकते हो तुम भी कलाम।

पढ़िए :- किताब पर कविता “अनमोल किताबों में”


नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुमार

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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