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हिन्दी प्रेरक कविता

हिन्दी प्रेरक कविता

उड़ती हुई तितली ने कहा
जीवन के पल बस है दो चार।
मस्ती के संग जीवन जीना
चिंताओं का तू न रखना भार।।

कल की अनदेखी कल्पना में
न खोना तुम अनमोल आज को।
लोगो के अनुसार कभी भी
नहीं बदलना अपने अंदाज को।।

मुझको समय मिलता है शेष
खुलकर के जीवन जीती हूं।
हर एक क्षण खुशी का प्याला
प्रफुल्लित होकर के पीती हूं।।

गिर जाने पर न होती निराश
मैदान छोड़कर नहीं भागती हूं।
सुखद क्षण और आराम को
मैं जीवन से अपने त्यागती हूं।।

पर मानव को उदास देखकर
मन मेरा यह शब्द कहता है।
जीवन संग्राम में वहीं जीतता
जो दुख में प्रफुल्ल रहता है।।

विकल्प सदैव रहते हैं पास
कोई दुख अपनाकर दुखी होता।
कोई विपरीत परिस्थितियों में भी
आनंद खोज कर चैन से सोता।।

समय कभी नहीं होता कम
पर लोग इस्तेमाल करते गलत।
इसलिए सफल लोगों की पंक्ति
से सदैव के लिए हो जाते अलग।।

अगर तितली से सीख लेकर
जीवन जीना प्रारम्भ करे।
खुशी हमेशा करेगा अनुभव
गर मस्ती को हृदय में भरे।।

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नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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