होली पर देश प्रेमी कविता ( Holi Par Desh Premi Kavita ) में पढ़िए आज के हालातों को सुधारने का संदेश देते आदरणीया कविता सिंह “वफ़ा” जी की यह रचना ” आओ मिलकर खेलें होली ” :-

होली पर देश प्रेमी कविता

होली पर देश प्रेमी कविता

आओ मिलकर खेलें होली
निकले फिर मस्तों की टोली
जात पात के भेद भुला के
देश प्रेम से भर लें झोली

आओ मिलकर……….

उन रीती आँखों के सपने
खोए हैं जिनके सब अपने
आओ दुआ करें सब रब से
बिछड़े न कोई अब अपने
ऐसे हिलमिल खेलें होली

आओ मिलकर ………..

हँसी ठिठोली फिर से सूझे
इक दूजे को मन से बूझे
रंग अबीर गुलाल उड़े फिर
फिर मिल कर रंगों से जूझें
प्रेम की फिर हम बोलें बोली

आओ मिलकर……….

पढ़िए :- होली पर देश भक्ति गीत “कैसे खेलें हम सब होली”


 कविता सिंह वफ़ायह रचना हमें भेजी है आदरणीया कविता सिंह जी ने। आप एक सामान्य गृहणी हैं। आप हिंदी विषय में परास्नातक हैं और ग़ज़ल , कविताएँ , मुक्तक , कतअ , दोहा गीत आदि लिखने में रूचि रखती हैं। अनेकों साझा संकलन और पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं को स्थान मिला।

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