आज का इन्सान बहुत स्वार्थी और लोभी हो गया है। इस से अच्छा तो पहले का आदिमानव था। कैसे? आइये जानते हैं इस मानवता पर कविता में :-

मानवता पर कविता

मानवता पर कविता

न किसी से शिकायत थी
ना किसी से द्वेष था,
खुशियों भरी जिंदगी थी
खुशियों का परिवेश था।

चलते थे सत्य के पथ पर
चरित्र जिनका अच्छा था,
इससे अच्छा तो मैं
आदिमानव ही अच्छा था।

नहीं था कागज का मोल
नहीं थी मोटर, कार,
नहीं था पैसों को लेकर
परिवारों मे झगड़े की भरमार।

नहीं थी ऊँची बिल्डिंगें
नहीं था ज़मीनों का कोई मोल,
नहीं होती थी खुनी लड़ाई
नहीं होता था कोई झोल।

नहीं होता था कोई आडम्बर
ना धर्म के नाम पर लड़ते थे,
सब था अपना, भाई भाई
मिलकर सब एक रहते।

ना अपने को मारने की सोचते थे
ना बनाते थे घातक हथियार,
संपूर्ण वन ही घर था
यही जीवन संसार।

लालच से यह भरे बाजार से
रूखी सूखी भोजन अच्छा था,
दानव बना बैठा मानव से मैं
आदिमानव अच्छा अच्छा था।

पढ़िए :- हौसला बढ़ाने वाली कविता “हौसलों के पंख लगाकर”


रचनाकार का परिचय

पुष्पराज देवहरेनाम :- पुष्पराज देवहरे
ग्राम :- दोंदे खुर्द रायपुर
पढ़ाई – BA फाइनल, PGDCA
रूचि – कविता लेखन, पढ़न
कार्य – सोशल वर्कर, भीम रेजिमेंट छत्तीसगढ़ गैर राजनीतीक संगठन ब्लॉक सचिव धरसींवा रायपुर,

“ मानवता पर कविता ” ( Manavta Par Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply