पिता पर बाल कविता ( Pita Par Bal Kavita ) – हमारे जीवन में न जाने ऐसे कई प्रसंग जुड़े होते हैं जो हमें हमारी बचपन की याद दिलाते हैं। और जब भी उन्हें याद करो तो चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। जो हमसे हमारे ग़मों को छीन कर दूर ले जाती है। और कुछ पल के लिए सही हमें एक आनंद की अनुभूति होती है।

ऐसा ही एक प्रसंग आपके सम्मुख रखने का प्रयास किया है। जिसमें एक बच्चा अपने पिता से चॉकलेट की जिद करता है और पापा उसे बिस्किट का पैकेट दिखाकर चिढ़ाते हैं और अपने बच्चे की प्रतिक्रिया देखकर आनंदित होते हैं जबकि उनके पास चॉकलेट पहले से ही रहती है किन्तु कुछ पल बच्चों को चिढ़ाकर उनकी इच्छा पूर्ति करने के बाद उनके चेहरे की ख़ुशी से बढकर एक पिता के लिए कुछ नहीं हो सकता है तो आइये पढ़ते हैं –

पिता पर बाल कविता

पिता पर बाल कविता

पापा पापा क्या लाये?
बेटा हम बिस्कुट लाये,
मैं बिस्कुट नहीं खाता हूं
चॉकलेट ही बस भाता हूँ।

बिन चॉकलेट के मजा नहीं आती
पढ़ाई मुझको नहीं है भाती,
दिमाग काम नहीं करता मेरा
कैसे करूँ मै होमवर्क पूरा।

होती मुझे फिर बड़ी ही दुविधा
नहीं मिलती जब चॉकलेट की सुविधा,
चॉकलेट जब मुझको मिल जाती
पढ़ने में मजा फिर है आती।

चाहिए चॉकलेट मुझको रोज
खाने में भी फिर छप्पन भोग,
लड्डू बर्फी और हलवा पूरी
अब न सही जाए इनसे दूरी।

बोलो आपकी क्या मजबूरी?
क्यों न करते हो इच्छा पूरी?
प्यारे बेटा मेरी बात सुनो
गुस्से से तुम यूँ न ठनों।

बात तो सुन लो मेरी पूरी
सब होंगी इच्छाएं पूरी,
तुम हो मुझको सबसे प्यारे
जग में लगते सबसे न्यारे।

तुम पर अपनी जान लुटा दूँ
हर गम को मैं अपने मिटा दूँ,
चॉकलेट तो मैं लाया हूं
बस्ते में अपने छुपाया हूँ।

ये बिस्कुट जो लाया है
तुमने न इसको खाया है,
खाकर तुम देखो इनको
अच्छा लगेगा फिर मन को।

खाओ चॉकलेट दाँत सड़ाओ
बिस्किट से तुम सेहत बनाओ,
क्रीम मलाई मीठे नमकीन
एक पैकेट में फ्लेवर तीन।

मलाई स्ट्राबेरी और प्लेन
मानव की है अच्छी देन,
नहीं भायी जो तुमको यह तो
फिर चॉकलेट ही खाना तुम।

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हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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