अपनी प्रेयसी से प्रेम स्वीकार करने की भावना को शब्दों में प्रस्तुत करती प्रेयसी पर कविता ” चाह प्रेम की दे दे प्रेयसी ”

प्रेयसी पर कविता

प्रेयसी पर कविता

चाह प्रेम की दे दे प्रेयसी,
प्रेम चित्र यौवन के सुन्दर
प्रेम इष्ट आकृष्ट कर रहा,
तुम दिल की धड़कन के अंदर !!

मैं मधुकर हूं प्रेम नगर का,
चाह रहा हूँ मैं मन तेरा,
चंचल हूँ तेरे अंचल में,
दिखला दे तुं दिल का डेरा !!

दरवाजा तूं खोल हृदय का,
दर्शन कर लेने दे मन का,
तेरे मन का मिले समर्थन
मंगल हो हर क्षण जीवन का !!

तेरे संग का साथ हो संभव,
तो प्रयास कुछ और करें हम,
दुआ करो की संबंधों में,
और मधुरता नित्य भरें हम !!

चाहत के उत्तूंग शिखर से,
मैं तेरे मन में मिल जाऊं,
तेरी खुशबू से खुश होकर,
नील कमल सा मैं खिल जाऊं !!

तुम जिसको अपना कह पाओ,
ऐसा कुछ कर दिखलाऊं मैं,
स्नेह सुवासित वन उपवन में,
प्रेम नया भर जाऊं मैं !!

कोई प्रेम के पंथ चले तो,
बस तेरा उपमान धरे,
मैं उस प्रेम का रथी सारथी,
कहो किधर प्रस्थान करे !!

श्रृष्टि और समष्टि के हित
आओ कुछ पुरुषार्थ करें
विश्व परंपरा हो प्रतिपादित
प्रेम युक्त भावार्थ भरें

स्नेह सम्मिलन सुख संवर्धन
जीवन नित अनुगामी हो,
प्रेम पुरस्कृत पावन परिणय
में सजकर सुखधामी हो

अंतर्मन का अनुमोदन है
आओ प्रेम विनोद करें
दुख दारिद्र्य को दूर भगाकर
हर्षित हो सहयोग करें


रचनाकार का परिचय

जितेंद्र कुमार यादव

नाम – जितेंद्र कुमार यादव

धाम – अतरौरा केराकत जौनपुर उत्तरप्रदेश

स्थाई धाम – जोगेश्वरी पश्चिम मुंबई

शिक्षा – स्नातक

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