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प्यार का इजहार कविता

प्यार का इजहार कविता

स्वतः प्यार की जैसे आहट मिली हो
तुम्हे देखकर मुस्कुराहट मिली हो,
हृदय में जली ज्योत ऐसे जतन की
बड़ी खूबसूरत बनावट मिली हो।
तनिक मान जाओ तो मैं भी मना लूं
तेरे हुस्न पर शायरी गुनगुना लूं,
तूं दे दे इजाजत जो अपने शहर में
तो तेरे लिए आशियाना बना लूं।
मधुरता भरी मोहिनी रूप पाके
विहवल झलक की ललक में नहाके,
ओझल न हो करके कोई बहाना
तूं बस जा मेरे नेह नैनों में आके।
चमक चांदनी सी अनोखी अदाएं
कनक कामिनी क्षोभ में ही लजाए,
ये यौवन का जादू बेकाबू करे तो
कहो इश्क़ का दर्द किसको सुनाएं।
सुखद अनुभवों की तूं मलिका बनी हो
सोने सी रंगत की तुम स्वामिनी हो,
ये चेहरे पे कारीगरी की है जिसने
कहा उसने की तुम तो सबसे धनी हो।
तेरे प्यार को अर्जियां लग रही हो
लरजती हुई किस्मतें जग रही हो,
मेरे तसव्वुर में तस्वीर तेरी
तूं औरों से बिल्कुल अलग लग रही हो।
कहीं याद में हिचकियां चल रही हो
कहीं प्रेम की बातियां जल रही हो,
चाहत को राहत का रस्ता बता दे
मेरी हसरतों में तो तुम पल रही हो।
सभी जेवरों का अलंकार फीका
तेरे मुस्कुराने का सुंदर सलीका,
सजी प्रीति की प्रेयसी तुम सजी हो
कहां सीखा मन मोहने का तरीका।
संकेत कर दो तो समझूं इशारा
ज़रा मेरी कस्ती को दे दो किनारा,
सच में तुम्हारा कहा मान जाऊं
अगर प्यार को दे दो अपना सहारा।

रचनाकार का परिचय

जितेंद्र कुमार यादव

नाम – जितेंद्र कुमार यादव

प्यार का इजहार कविताधाम – अतरौरा केराकत जौनपुर उत्तरप्रदेश

स्थाई धाम – जोगेश्वरी पश्चिम मुंबई
शिक्षा – स्नातक

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