वो सैनिक ही हैं जिनके कारण हम अपने घरों में महफूज रहते हैं। वो अपनी जान पर खेल कर हमारे प्राणों की रक्षा करते हैं। वो स्वयं तो कोई त्यौहार अपने परिवार के साथ नहीं मना पाते लेकिन हमें ये अवसर जरूर देते हैं। आइये पढ़ते हैं उन्हीं सैनिकों को समर्पित ( Sainik Par Kavita In Hindi ) सैनिक पर कविता “इक दीप तुम्हारे नाम का”

सैनिक पर कविता

सैनिक पर कविता - सैनिकों को समर्पित दीवाली कविता

इक दीप तुम्हारे नाम का सारे हिंदुस्तान का।
दर्जा देकर रखा है सैनिक को भगवान का।

रणबाकुरों ने जब जब दुश्मन की गोली झेली है।
तब तब हमने शान्तिपूर्वक घर में होली खेली है।
कितने ही कुर्बान हुए है इस भारत की माटी में।
कितने ही कुर्बान हुए है इस कश्मीरी घाटी में।
नाम लुप्त है प्राण सुप्त है इक सैनिक गुमनाम का।

कितने ही बहनों की राखी ने कलाई खोई है।
कितने ही सिन्दूर धुले,विधवाएं गुमसुम रोई है।
कितनी ही माओं के बेटे बिन ब्याहे कुर्बान हुए।
भारत माँ की इस माटी में न जाने कितने दान हुए।
भाई बहन का रिश्ता बचा इक सैनिक के मान का।

जब दुश्मन के छाती पर तोप चलाये जाते है।
तब भारत माँ के आंगन में दीप जलाए जाते है।
इनकी होली और दिवाली यही मनाई जाती है।
ईद के पावन अवसर पर सेवई बनाई जाती है।
आओ मिलकर गीत गुनगुनाये सैनिक के सम्मान का।

जन जन की ओर से कितनी अच्छी शुरुवात हुई।
देश के नायक के खातिर कितनी प्यारी बात हुई।
इन रणबाकुरों के चरणों में प्रेमी शीश झुकाता है।
तेरे किस्से प्रियतम बनकर चारो ओर सुनाता है।
आओ मिलकर दीप जलाए हर सैनिक की शान का।

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रचनाकार का परिचय –

हिंमांशुनाम-हिमांशु प्रेमी
पता-लालगंज जिला रायबरेली ,उत्तर प्रदेश

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