अगर शब्द न होते तो कैसे कोई अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाता। बात-चीत और आपसी मेल भाव के लिए शब्द ही एक कड़ी है जो सब को जोड़ कर रखते। शब्द किसी को भी अपना बना सकते हैं। शब्द ही मित्र बनाते हैं शब्द ही शत्रु। शब्द की इसी जादूगरी पर आधारित है यह शब्द पर कविता ( Poem On Shabd In Hindi ) ” शब्दों का खेल है सारा “

शब्द पर कविता

शब्द पर कविता
शब्दों का खेल है सारा;
दिल में जो भी है उतारा।
चेहरे से आकर्षित करे;
मन में बिष की बहे धारा।
क्या होगा जब उतरेगा;
नकाब चेहरे से बेचारा।
तन भी शुद्ध हो मन भी ;
फिर अच्छा है जीवन सारा।
खुद को बदलो सब बदलेगा
जीवन कितना सुंदर लगेगा।
परोपकार की रखो भावना;
बनो किसी का तुम सहारा।
चालाकी और कड़वी बातें ;
किसी को नहीं भाती है।
जब असलियत सामने आए;
छुपाओगे कहां चेहरा प्यारा ।
✍ कामनी गुप्ता
 जम्मू

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