प्रजाशासक पर कविता :- प्रजा-शासक मौन है
आप पढ़ रहे हैं प्रजाशासक पर कविता :- प्रजाशासक पर कविता तेरे अन्दर मेरे अन्दर, कुछ बात दबी है सीने में। प्रजा-शासक मौन है, क्या मजा आ रहा जीने में।। जुबां खुली जब भी, कलंकित देशद्रोही माना खंडन किया जब भी, भड़काऊ विद्रोही माना। सोम रस तो नहीं मांगता, जहर…