कर्म पर कविता :- कर्मों का खेल | Hindi Poem On Karma
आप पढ़ रहे हैं ( Hindi Poem On Karma ) कर्म पर कविता " कर्मों का खेल " :- कर्म पर कविता कर्मों का खेल न जाने मानव,संसार में।बिक रहा है हर एक पैसों की,झंकार में।यह जींवन दान दिया हमें,जिस ईश्वर ने,प्रेम उसी का भूला जग के,झूठे प्यार में। कर्मों…