रामधारी सिंह दिनकर पर कविता :- दिनकर की चमक
रामधारी सिंह दिनकर पर कविता पश्चिम में छिपता दिनेश जो,उदित होता फिर नित्य नभ में। है चकित क्षितिज भी देख,दिनकर की चमक सतत जग में। प्रखर अग्नि सा तेज भरा, वीररस के ओजस्वी राष्ट्रकवि। भानु रश्मि सम तीव्र वेग सी, थी उनकी लेखनी की गति। रेणुका,कुरुक्षेत्र,उर्वशी एवं, सूरज का ब्याह…