हिंदी कविता क्या लिखूं क्या छोड़ दूँ | Hindi Kavita Kya Likhu
हिंदी कविता क्या लिखूं क्या छोड़ दूँ शूल सा चुभता हर पल नित् कैसे वो वेदना तोड़ दू, ख्वाहिश हुई इसे लिखने की,पर क्या लिखूं क्या छोड़ दूं। कुछ वर्ष बीते है संगम धरा पर जो लग रहा है युगों समान, अन्न ग्रासन भी इस देवधरा का लग रहा…