हिंदी कविता अजनबी बनकर | Hindi Kavita Ajnabi Bankar
आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता अजनबी बनकर :- हिंदी कविता अजनबी बनकर अजनबी बनकर ही सही कुछ देर ठहर जाते होठ ख़ामोश ही सही ख़ामोश रहकर ही कुछ कह जाते । दिल को मिली काश ए हंसी सौगात होती तुम कुछ देर और ठहर जाते तो कुछ और बात…