हिंदी कविता अल्हड़ जवानी | Hindi Kavita Alhad Jawani
हिंदी कविता अल्हड़ जवानी जीवन की भी है,अलग ही व्यथा। बचपन, जवानी, वृद्धा अवस्था। निकला बचपन खेलने कूदने में। नित नए रोज सपने बुनने में। फिर हुए किशोर,आ गई अल्हड़ जवानी। जोश खरोश से, बात- बात में करते नादानी। जवानी का नशा,ऐसा मतवाला। नहीं कोई मेरा जैसा, दिलवाला। नहीं समझा…