हिंदी कविता पुकार संविधान की | Kavita Pukar Samvidhan Ki
आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता पुकार संविधान की :- हिंदी कविता पुकार संविधान की जन्मा मैं सन 1949 में। 1950 में आँख खुला।। न्याय में आस पनपता देख। कन्धा मेरा भरा रहा।। पुकारते थें जो संविधान कहकर। आज उसका अर्थ पलट गया।। नियमों की पोथी भर रह गई। अब…