आंसू पर कविता – बूंद | Aansu Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं आंसू पर कविता - बूंद आंसू पर कविता बूंद हूं मैं एक खारी, छलकी.. हो चक्षु से भारी, बहकी बन सुख- दुख की मारी, बूंद हूं मैं एक खारी..। मन, हृदय सब गम से भारी... कर गया आंखों को हारी, बोझ सारा मैं समेटे, चल पड़ी..…

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हिंदी कविता साहित्यकार | Hindi Kavita Sahityakar

आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता साहित्यकार हिंदी कविता साहित्यकार कितना कुछ जानते हो तुम साहित्यकार! कदमों की चाल से नाप लेते हो थकान.. भांप लेते हुए आंखों की कोर में. .. सफाई से छुपाया गया एक रेगिस्तान। पहचान लेते हो बदलते मिजाज की कड़वाहट.. बदल जाते हो उसी क्षण…

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