कविता सोच रही हूँ मैं | Kavita Soch Rahi Hu Main
आप पढ़ रहे हैं कविता सोच रही हूँ मैं :- कविता सोच रही हूँ मैं सन्नाटे में किसकी आवाज़ सुनाई देती है अंधेरे में क्यों आहट महसूस होती है तनहा दीवारें क्यों चिल्ला रही जाने किसकी यादें कानों में गूंज रही डर से दोस्ती अच्छी नहीं पता था मुझे पर…