हिंदी कविता बड़ा अभिमान था | Kavita Bada Abhiman Tha

आप पढ़ रहे हैं ( Kavita Bada Abhiman Tha ) हिंदी कविता बड़ा अभिमान था :- हिंदी कविता बड़ा अभिमान था रूप लावण्य पर कभी नाजो गुमान था। सुन्दर देह पर कभी बड़ा अभिमान था।। ली करवट जिन्दगी ने, प्राणो ने तज दिया शरीर।सन्नाटे का आलम था, सबकी भावभंगिमा थी…

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Pita Par Kavita | पिता पर कविता :- उपकार पिता के

आप पढ़ रहे हैं ( Pita Par Kavita ) पिता पर कविता :- पिता पर कविताPita Par Kavita उपहार पिता केगिनती करना मुश्किल है,उपकार पिता केगिनती करना मुश्किल है। नश-नश में जिसका रक्त बहेरहे स्वाभिमान से भरा-भरा,नभ भी मानो छोटा लगताघर आँगन हो हरा-हरा, इज्जत, शौहरत, रुतबे कादम भरतें है…

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