Badal Par Kavita | Best Poem On Clouds In Hindi | बादल पर कविता
Badal Par Kavita आप पढ़ रहे हैं बादल पर कविता :- Badal Par Kavitaबादल पर कविता खींच खींच ले मन को जातेमीत मनोहर वे बन जाते ,उमड़- घुमड़ कर आगे पीछेउड़ते बादल कहां को जाते? कुछ नाचते खुशी मनातेकुछ के आंसू झर झर जाते ,सुख दु:ख का यह संगम कैसा ?नई नवेली दुल्हन जैसा ,आंखों से जो जल बरसातेउड़ते…