धरती पर कविता :- धरती मानव की जान है | Dharti Par Kavita
धरती पर कविता धरती मानव की जान है समाया इसमें जहान है, प्रकृति सुख हमको देती महिमा सबसे महान हैं। मानव को पुत्र मानकर एक जैसा सबसे करती प्यार, अनाज का भरके भंडार कृपा करती हैं बार बार। वृक्षों की छाया में राही अपनी थकान को देता आराम, फल खाकर…