धरती माँ की बिगड़ती हालत पर ( Dharti Maa Par Kavita In Hindi ) धरती माँ पर कविता ” माँ वेंटीलेटर पर है “
धरती माँ पर कविता

शांत है धरा, गगन भी है चुप खड़ा,
पेड़-पौधे,पत्ते सांस लेते दिख रहे
खुलकर पक्षी गा रहे, हवा में सब नाच रहे
नागिन सी नदियाँ ,कर रही नादानियाँ।
खोल दिये पंख पर्वतों ने,मिलाने लगे हाथ चमन से
भूरी पृथ्वी हरी हो रही,नीले रंगों से सज रही
लॉकडाउन के काल मे स्वयं को स्वयं से संवार रही
आजतक पृथ्वी को मानव को पालते देखा,
किंतु आज इसका कोमल,निर्मल बचपन देखा।
धरा ने देने में कोई कसर ना छोड़ी थी,
इंसान ने झूठी माया और इच्छा जोड़ी थी।
पृथ्वी दिवस पर,पृथ्वी को कुछ उपहार दें,
गर्भवती महिला की तरह, बेशूमार प्यार दें।
ख्याल रखें,स्वस्थ रखें तो रोग विमुक्त हमे जीवन देगी,
बूढ़ी हो चली पृथ्वी को हमारा संरक्षण ही सहारा देगी।
चीर इसकी छाती दिल तक इसका निकाल लिया,
अपना दिल बहलाने खातिर इसको कितना बेहाल किया।
जीने दो शांति से इसे भी या चैन से मर जाने दो,
प्रदूषण की बदबू से घुट-घुटकर इसे ना मरने दो।
निःस्वार्थ भावना ऐसी मरते-मरते भी उपजाऊ माटी दे जाएगी,
फूले-फलेंगे,बाग- बगीचे,वन-उपवन सबको नवजीवन दे जाएगी।
मुफ्त में दिया ऑक्सीजन आज स्वयं वेंटीलेटर पर पड़ी है,
बचालो अब तो, पृथ्वी से बढ़कर ना कोई माँ बड़ी है।
ना कोई माँ बड़ी है।

यह कविता हमें भेजी है सारिका अग्रवाल जी ने जो कि बिरतामोड, नेपाल में रहती हैं।
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धन्यवाद।
दिल को छू लेने वाली कविता।
धन्यवाद।मनीषा जी
Itni achi kavita aaj tak nahi padhi
Sach Mein ye dil ko chhu lene vali kavita hai ye☺️☺️☺️