Adhyapak Par Kavita | अध्यापक पर कविता | Poem On Teacher
Adhyapak Par Kavita आप पढ़ रहे हैं Adhyapak Par Kavitaअध्यापक पर कविता समाज भूल गया आज रास्ता, मंजिल...
डा. गुरमीत सिंह खालसा कालेज, पटियाला ( पंजाब ) से गणित विषय में प्राध्यापक के पद आसीन हैं। आप मर्यादित और संजीदा भाव के धनी होने के साथ-साथ आप गुणीजनों और प्रबुद्धजीवी में से एक हैं। आप अपने जीवन के अति व्यस्ततम समय मे से कुछ वक्त निकाल कर, गीत और सँगीत के शौक के साथ रेख्ता, शेर-ओ-शायरी को अवश्य देते हैं। आपकी गणित विषय पर 25 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
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शिक्षक पर हास्य कविता ( Shikshak Par Hasya Kavita ) :- कहते हैं अध्यापक समाज...
पढ़िए कवि और चोर की नोकझोंक वाली हास्य व्यंग्य कविता लक्ष्मी और सरस्वती ( Hasya...
धूप की आत्मकथा कविता मैं धूप हूँ, अक्सर परछाईं से डर जाता हूँ, फिर भी...
हिंदी कविता : ग़ज़ल की कहानी वक्त की उगलती आग गज़ल, तब होती बाग ओ...
हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति अखबार में पढ़ा कि बंदरों ने किताबें फाड़ दी...
कोरोना के समय में तनाव को कम करने और चेहरे पर मुस्कान लाने वाली हास्य...