डा. गुरमीत सिंह खालसा कालेज, पटियाला ( पंजाब ) से गणित विषय में प्राध्यापक के पद आसीन हैं। आप मर्यादित और संजीदा भाव के धनी होने के साथ-साथ आप गुणीजनों और प्रबुद्धजीवी में से एक हैं। आप अपने जीवन के अति व्यस्ततम समय मे से कुछ वक्त निकाल कर, गीत और सँगीत के शौक के साथ रेख्ता, शेर-ओ-शायरी को अवश्य देते हैं। आपकी गणित विषय पर 25 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

Adhyapak Par Kavita | अध्यापक पर कविता | Poem On Teacher

Adhyapak Par Kavita आप पढ़ रहे हैं Adhyapak Par Kavitaअध्यापक पर कविता समाज भूल गया आज रास्ता, मंजिल कहीं और है,चला कहीं और जाता है,कारण भी स्पष्ट है कि अध्यापक कीकद्र करना इसे कदापि नहीं आता है। पहले भगवान का दर्जा था,गुरू कह कर पुकारा जाता था,मां बाप से भी पहलेगुरू को सत्कारा…

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शिक्षक पर हास्य कविता :- आधुनिक शिक्षा पर व्यंग्य | Funny Poem

शिक्षक पर हास्य कविता ( Shikshak Par Hasya Kavita ) :- कहते हैं अध्यापक समाज का भाग्यविधाता होता है। समाज के विकास में योगदान देने वाले महापुरुषों के जन्मदाता हमारे गुरु हमारे अध्यापक ही होते हैं। परन्तु पिछले कुछ सालों में हालत और शिक्षा व्यवस्था इस कदर बदली है जिसने…

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हास्य व्यंग्य कविता लक्ष्मी और सरस्वती | Hasya Vyangya

पढ़िए कवि और चोर की नोकझोंक वाली हास्य व्यंग्य कविता लक्ष्मी और सरस्वती ( Hasya Vyangya Kavita Laxmi Aur Saraswati ) :- हास्य व्यंग्य कविता लक्ष्मी और सरस्वती एक रात, एक चोर, कवि के घर, करने चला गया चोरी, उम्मीद थी कि, मिलेगी वहाँ नोटों से भरी कोई तिजोरी, मुझे…

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धूप की आत्मकथा कविता :- मैं धूप हूँ | Dhoop Par kavita

धूप की आत्मकथा कविता मैं धूप हूँ, अक्सर परछाईं से डर जाता हूँ, फिर भी परछाइयों के संग गुजर जाता हूँ। क्या होता है कहाँ, सब खबर है मुझको, हर डगर, हर नगर, हर शहर जाता हूँ। दूर तलक जहाँ खुश लोग नज़र आते हैं, वहाँ कुछ देर के लिए…

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हिंदी कविता : ग़ज़ल की कहानी | Kavita Ghazal Ki Kahani

हिंदी कविता : ग़ज़ल की कहानी वक्त की उगलती आग गज़ल, तब होती बाग ओ बाग गज़ल। ईरान से लेकर आई है, भारत में ये बैराग गज़ल। कई साल लगाते हैं शायर, तब बनती है बेदाग़ गज़ल। अश्कों का दरिया आंखों में, दे जाता एक चराग गज़ल। उर्दू की है…

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हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति | Hasya Kavita

हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति अखबार में पढ़ा कि बंदरों ने किताबें फाड़ दी एक लाइब्रेरी में, समझ नहीं पाया, ये काम सही समय पर हुआ या देरी में। क्या बंदरों ने ये सोचा कि ये बेमतलब में किताबें छपाई क्यों, और अगर पढ़ना ही नहीं था तो लाइब्रेरी…

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हास्य कविता : कोरोना और आप | Hasya Kavita Corona

कोरोना के समय में तनाव को कम करने और चेहरे पर मुस्कान लाने वाली हास्य कविता : कोरोना और आप - हास्य कविता : कोरोना और आप आप इस धरती के सबसे शक्तिशाली जीव हैं, ये बात आप अच्छी तरह से जानते हैं, ये बात और है कि आपके परमशत्रु…

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