हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति
अखबार में पढ़ा कि बंदरों ने
किताबें फाड़ दी एक लाइब्रेरी में,
समझ नहीं पाया, ये काम
सही समय पर हुआ या देरी में।
क्या बंदरों ने ये सोचा कि
ये बेमतलब में किताबें छपाई क्यों,
और अगर पढ़ना ही नहीं था
तो लाइब्रेरी बनाई क्यों।
या सोच ये थी कि आज़ादी देने वाली
किताबें यहाँ पर कैद क्यों,
और फिर इन के ऊपर
चौकीदार की तरह लाइब्रेरियन मुस्तैद क्यों।
या ये सोच रही होंगी कि
लेखक भूख से तरसे बोटी बोटी क्यों,
और प्रकाशक लेखक को लूट कर
कमाए रोजी रोटी क्यों।
कहीं ऐसा तो नहीं सोचा कि
इतिहासकारों ने इतिहास तोड़ा मरोड़ा क्यों,
और इस टूटे फूटे इतिहास को
अनपढ़ शिक्षा मंत्रियों के भरोसे छोड़ा क्यों।
या फिर इन किताबों को
दीमकों से बचाने के लिए,
और लाइब्रेरी की बिल्डिंग को
किसी अच्छे काम में लगाने के लिए।
कहीं किसी दिलजले लेखक ने
उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाया तो नहीं,
या किसी प्रकाशक ने अपनी
और प्रतियों की बिक्री के लिए ऐसा कराया तो नहीं।
राजनेताओं का कहना है कि
इस के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है,
और उनकी मानो तो
पड़ोसी देश बंदरों के साथ है।
अब सवाल ये है कि
इस का हल कैसे निकाला जाएगा,
यूँ लगता है कि कोई
आयोग बिठाया जाएगा।
कुछ ना कुछ आयोग के
बनाए जाएंगे कायदे,
निश्चित है कि दो तो होंगे,
आयोग बिठाने के फायदे।
पहला फायदा सरकार का होगा
सुपर बैस्ट,
कई खास रिश्तेदारों को
किया जाएगा ऐडजैस्ट।
और दूसरा कि जनता को लगेगा,
सरकार है गंभीर,
जनता हो जाएगी,
नतीजा जानने के लिए अधीर।
कुछ बंदरों को बुला कर
उन से की जाएगी बात,
कुछ बंदरों को बनाया जाएगा
गवाह ए मौका ए वारदात।
कुछ बंदरों के
दर्ज कराए जाएंगे बयान,
भाषा की समस्या हुई तो
मदारी करेंगे काम आसान।
फिर मदारियों की भी तो
देश में कमी नहीं है,
मगर आयोग तय करेगा कि
कौन सा मदारी सही है।
ऐसे में पत्रकार भी
लगाएंगे मामले में मसाला,
चैनल पर बिठाने के लिए
ढूँढेंगे मदारी सही वाला।
मीडिया वाले जनता को फालतू मुद्दों,
जैसे बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी से दूर हटाएंगे,
तभी तो बंदर वाले मामले का सच
तीस चालीस साल में सामने ला पाएंगे।
पढ़िए :- पति पत्नी पर हास्य कविता ” कभी बेलन चलाती है “
डा. गुरमीत सिंह खालसा कालेज, पटियाला ( पंजाब ) से गणित विषय में प्राध्यापक के पद आसीन हैं। आप मर्यादित और संजीदा भाव के धनी होने के साथ-साथ आप गुणीजनों और प्रबुद्धजीवी में से एक हैं। आप अपने जीवन के अति व्यस्ततम समय मे से कुछ वक्त निकाल कर, गीत और सँगीत के शौक के साथ रेख्ता, शेर-ओ-शायरी को अवश्य देते हैं। आपकी गणित विषय पर 25 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
“ हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति ” ( Hasya Kavita Library Aur Rajneeti ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
Leave a Reply