हिंदी कविता कुछ कह रहा हूँ | Hindi Kavita Kah Raha Hu
हिंदी कविता कुछ कह रहा हूँ कुछ कह रहा हूँ, दिलरूबा! तू बातें सुन मेरी महबूबा!! सारे अरमान दफन हो गए हैं! सारे संबंध दफन हो गए हैं!! तुमसे संबंध सारे टूट गए! क्यों तुम मुझसे रूठ गए!! दिल के पिंजरे में जैसे तू परिन्दा है! अभी मुझमें तू जिन्दा…