आप पढ़ रहे हैं अधूरे प्यार की कविता ( Adhure Pyar Ki Kavita ) :-

अधूरे प्यार की कविता

अधूरे प्यार की कविता

बहुत दर्द होता है जब वो मुझे
खुद से दूर होने को कहते हैं,
बहुत याद आती है उनकी जब
वो मुझसे दूर रहते हैं।

बड़ा हसीन वो जिंदगी का फ़साना था,
न ही कोई अपना था न ही कोई बेगाना था।

जब से उसका मेरी ज़िन्दगी में
आना हो गया,
मोहब्बत उस से हुई और
दुश्मन ज़माना हो गया।

अब खुद से प्यार करने लगा हूँ
मरते दम तक खुद को चाहूँगा मैं,
रोऊंगा नहीं उसके बगैर, न ही
दर-दर की ठोकरें खाऊंगा मैं।

फिर शायद किसी की बद्दुआ असर कर गयी
हमारे रिश्ते को भी किसी की नज़र लग गयी।

अब शायद वो नाम किसी और का रट रही है
हमारी ज़िन्दगी उसकी यादों में कट रही है।

इस दूरियों की वजह से
सारा मंजर ही बदल गया है
उसे फ़ोन करें तो लगता ही नहीं
शायद अब उसका नंबर भी बदल गया।

“ अधूरे प्यार की कविता ” ( Adhure Pyar Ki Kavita )के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार “दिल “का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply