आप पढ़ रहे हैं प्यार के इजहार पर कविता ( Pyar Ke Izhaar Par Kavita ) “हाँ, प्यार करने लगी हूँ मैं” :-

प्यार के इजहार पर कविता

प्यार के इजहार पर कविता

“हाँ, प्यार करने लगी हूँ मैं”

हाँ, कम बोलने लगी हूँ मैं,
रिश्तों में चुप रहने लगी हूँ मैं,
प्यार का नाता है तुमसे,
बस,तुझ में ही खोने लगी हूँ मैं।

कितना समझाया न याद कर,
मनाया कि, मिलने की फरियाद न कर,
पर सुनता नही, न तुम न ये मन
एक बार फिर बैचेन होने लगी हूँ मैं।

जहाँ तुम्हारा जिक्र नही है,
हर बात फिजूल वो लगती है,
सुना जो तुमको एक बार,
खामोशी में अनेक बार सुनने लगी हूँ मैं।

जब तुम साथ रहते हो,
बेहोशी का जाम पिलाते हो,
अब आयी जुदाई की घड़ी,
अकेले में तुम्हारे साथ रहने लगी हूँ मैं।

पढ़िए :- सच्चे प्यार पर कविता “दिमाग न इश्क में लगाना”


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धन्यवाद।

This Post Has One Comment

  1. Avatar
    naim

    आप की रचना बहोत ही उत्कृस्ट है / उम्मीद है ऐसे ही और आपकी रचना पढ़ने को मिले सारिका जी।
    धन्यवाद आप का /

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