इस जीवन में कोई भी अपना नहीं। सारे संबंध मात्र स्वार्थ के लिए निभाये जाते हैं। इस बात का आभास होने पर हर इंसान को दुःख होता है। तो आइये पढ़ते हैं इसी विषय पर कालिका प्रसाद सेमवाल जी की ” दुःख भरी कविता ” में –

दुःख भरी कविता

दुःख भरी कविता

इस जग में आज मेरा
अगर प्रिय होता कोई!
पग में छाले दर्द उभरता
आँसू से भर धोता कोई।

मैंने प्यार किया जीवन में
जीवन ही अब भार मुझे,
रख दूं पैर कहां संगिनी,
मिल जाए आधार मुझे।

दुनिया की यह दुनियादारी,
करती है लाचार मुझे।
भाव भरे उर से चल पड़ता,
मिलता क्या उपहार मुझे।

स्वप्न किसी के आज़ उजाडूँ
इसका क्या अधिकार मुझे।
मरना जीना ही जीवन है,
फिर छलता क्यों संसार मुझे।

विरह विकल जब होता मन ,
सेज सजाकर सोताकोई।।
फूलों से है उलझन लगती,
शूलों से है अब प्यार मुझे।

देख चुका हूँ शीतलता को,
प्रिय लगता अंगार मुझे।
दुःख के शैल उमड़ते आयें
सुख की नहीं परवाह मुझे।

भीषण हाहाकार मचे जो
आ न सकेगी आह मुझे।
नहीं हितैषी कोई जग में,
यहीं मिली है हार मुझे।

ढूँढ चुका हूँ जी का कोना,
किन्तु मिला क्या प्यार मुझे।

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रचनाकार का परिचय –

कालिका प्रसाद सेमवालनाम—कालिका प्रसाद सेमवाल
शिक्षा—एम०ए०, भूगोल, शिक्षा शास्त्र
आपदा प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास फाउंडेशन कोर्स विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बी०एड० सम्प्रति व्याख्यात
सेवारत —जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
प्रकाशित पुस्तकें–रूद्रप्रयाग दर्शन
अमर उजाला,दैनिक जागरण ,हिंदुस्तान व पंजाब केसरी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में धर्म संस्कृति व सम सामयिक लेख प्रकाशित होते हैं ,उत्तराखंड विघालयी शिक्षा की हमारे आसपास,कक्षा 3, 4, 5 और कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक लेखन समिति के सदस्य और लेखक भी हैं।

अब तक प्राप्त सम्मान—
रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यभूषण, साहित्य मनीषी,अन्य मानस श्री कालिदास सम्मान,उत्तराखंड गौरव साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा साहित्य रत्न, साहित्य महोपाध्याय सम्मानोपधि व देश की विभिन्न संगठनों द्वारा साहित्य में पचास से अधिक सम्मान मिल चुके है
पता—मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171


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