आप पढ़ रहे हैं माँ सरस्वती की कविता ( Maa Saraswati Ki Kavita) “मां शारदे इतना उपकार करो”
माँ सरस्वती की कविता
हम अज्ञानी और अल्प बुद्धि है,
मां शारदे इतना उपकार करो।
हम सब के अन्तर्मन में,
झंकृत वीणा तार करो।
अन्दर ऐसा भाव जगाओ,
जन-जन का उपकार करे।
हम से यदि त्रुटियां हो जाय,
उनको तुम माफ़ करो मां।
निर्मल करके तन मन सारा,
सकल विकार मिटाओ मां।
बुरा न देखें बुरा कहें मत,
विनय मेरी यह स्वीकारों मां।
प्रज्ञा रुपी किरण पुंज तुम,
हम तो निपट अंधेरा हैं।
हर कर अन्धकार तन-मन का,
सब की नैया पार करो मां।
पढ़िए :- सरस्वती माँ को समर्पित “सरस्वती वंदना कविता”
रचनाकार का परिचय –
नाम—कालिका प्रसाद सेमवाल
शिक्षा—एम०ए०, भूगोल, शिक्षा शास्त्र
आपदा प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास फाउंडेशन कोर्स विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बी०एड० सम्प्रति व्याख्यात
सेवारत —जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
प्रकाशित पुस्तकें–रूद्रप्रयाग दर्शन
अमर उजाला,दैनिक जागरण ,हिंदुस्तान व पंजाब केसरी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में धर्म संस्कृति व सम सामयिक लेख प्रकाशित होते हैं ,उत्तराखंड विघालयी शिक्षा की हमारे आसपास,कक्षा 3,4,5, और कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक लेखन समिति के सदस्य और लेखक भी हैं।
अब तक प्राप्त सम्मान—
रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यभूषण, साहित्य मनीषी,अन्य मानस श्री कालिदास सम्मान,उत्तराखंड गौरव साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा साहित्य रत्न, साहित्य महोपाध्याय सम्मानोपधि व देश की विभिन्न संगठनों द्वारा साहित्य में पचास से अधिक सम्मान मिल चुके है
पता—मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
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