माँ पर कविता हिंदी में | Maa Par Kavita Hindi

प्रस्तुत है यह कविता हमें भेजी है कृष्ण मुरारी उपाध्याय जी द्वारा रचित माँ पर कविता हिंदी में ( Maa Par Kavita Hindi )

माँ पर कविता हिंदी में
Maa Par Kavita Hindi

माँ पर कविता हिंदी में

माँ तुलसी है , माँ गंगा है , माँ जननी महामाया है।
जीवन का सारा सुख मैंने , माँ के चरणों में पाया है।
माँ ने बचपन में मुझे , बहुत कुछ सिखाया है।

अपने जीवन की पहली शिक्षा , माँ से ही मैंने पाई है।
माँ शीतल है , माँ कोमल है , माँ जीवन की परछाई है ।
अपने जीवन की पहली शिक्षा , माँ से ही मैंने पाई है ।

नौ महीने पेट में रख माँ ने ,जीवन के कष्टों को झेला है।
माँ इतनी विपदा कठिनाई में , कभी नहीं घबराई है ।
माँ प्रेम रूप देवी जैसी , माँ तरुवर की तरुणाई है ।
अपने जीवन की पहली शिक्षा , माँ से ही मैंने पाई है ।

माँ ने ही चलना सिखलाया ।
चलकर गिरने पर मुझे , माँ ने ही उठना सिखलाया ।
जीवन के कठिन रास्तों पर ,आगे को बढ़ना सिखलाया।

गुण दिये हैं माँ ने बड़े प्रखर
माँ गूढ़ ज्ञान के तप जैसी , माँ शब्दों की गहराई है ।
अपने जीवन की पहली शिक्षा , माँ से ही मैंने पाई है ।

माँ ममता की अद्भुत मूरत , माँ भोली भाली सूरत है ।
माँ कबिरा की साखी जैसी , माँ तुलसी की चौपाई है ।
अपने जीवन की पहली शिक्षा , माँ से ही मैंने पाई है ।

माँ को पहचानो गौर करो , माँ का स्थान सभी से ऊँचा है।
माँ के समान दुनिया में , कोई और न दूजा है ।
माँ रहीम की दोहावलि जैसी, झाँसी की लक्ष्मीबाई है ।
अपने जीवन की पहली शिक्षा , माँ से ही मैंने पाई है ।

पढ़िए :- हिंदी कविता “माँ का प्यार”


यह कविता हमें भेजी है कृष्ण मुरारी उपाध्याय जी ने गाँव गढ़ी बाल किशन, मथुरा से।

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धन्यवाद।

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5 Responses

  1. Avatar Vishal says:

    सुन्दर कविता है

  2. Avatar Manisha says:

    Sundar

  3. Avatar Ajay chaudhary says:

    Bahut sundar

  4. Avatar Pankaj Kumar says:

    Mere teacher Krishn murari upadhiay ki Kavita muje bahut pasnd aai he or me chahta hu ki aap ek achhe kavi bane or Meri tarf se thanking you

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