आप पढ़ रहे हैं ( Samay Par Hindi Kavita ) समय पर कविता :-

Samay Par Hindi Kavita
समय पर कविता

Samay Par Hindi Kavita

कल से कल तक ले आज खड़ा हूं
हर युग हर पल कण-कण में पड़ा हूं
राग रागिनी निडर निर्भय हूं
घात अघात घातक प्रलय हूं,
क्योंकि मैं समय हूं।

है कौन रहा ऐसा जग में,
जिस संग सदा मैं रहा नहीं हूं
पग पग पकड़ चला जो मुझको,
लेकर उसको मैं और कहीं हूं
क्योंकि मैं समय हूं।

सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग,
धर्म-अधर्म का चला अंतर्युद्ध,
द्वंद्व- द्वेष मैं पाप पुण्य हूं,
तप ताप प्रताप विनम्र विनय हूं
क्यों कि मैं समय हूं।

जीवन पथ पर मैं चलूं अश्व सा,
इंतजार करू न किसी पथिक का,
मुझ संग होता जनम सभी का
मुझ बिन हो न मरण किसी का
मैं अजर अमर अजय-विजय हूं
क्योंकि मैं समय हूं।

समय है आता हर सभी पर,
समय न आता बारम्बार,
जैसे भी हो जान लो मुझको
दस्तक देता हूं एक बार
क्योंकि मैं समय हूं।

पढ़िए :- बदलते समय पर कविता | समय का पहिया घूम रहा है


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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