पेड़ पर दोहे | Ped Par Dohe | Dohe On Tree

आप पढ़ रहे हैं अंशु विनोद गुप्ता जी द्वारा रचित ” पेड़ पर दोहे ” :-

पेड़ पर दोहे

पेड़ पर दोहे

1.
अपना चलन सुधार लो, हमें न काटे कोय।
हमसे हरी-भरी धरा, हमसे भला न कोय ।

2.
हम हैं पेड़ हरे-भरे, हममें भी है जान।
हमको सदा निखारिए, हम धरती की शान ।

3.
पर्यावरण सुधारिए, धरती के अनुरूप ।
मिट्टी को हम रोक लें, तभी भरेंगे कूप ।

4.
हरियल यदि धरती नहीं, मानव तेरी हार।
सहरा में कैक्टस उगें, भीतर पानी दार।

5.
वसुधा का श्रृंगार हैं, वृक्ष फल और फूल।
रूप अगर निखरा नहीं, होगी माटी धूल।।

6. हरा-भरा सा हो गया, सहरा वाला देश।
शेख वहाँ के जानते, स्वर्ण सृदश यह वेश।।

7. प्राण वायु देकर हमें, देते जीवन दान।
जग में होना चाहिए, वृक्षों का सम्मान।।

पढ़िए :- योग पर दोहे व स्लोगन | Yog Par Dohe Aur Slogan


रचनाकार का परिचय

अंशु विनोद गुप्ता

अंशु विनोद गुप्ता जी एक गृहणी हैं। बचपन से इन्हें लिखने का शौक है।नृत्य, संगीत चित्रकला और लेखन सहित इन्हें अनेक कलाओं में अभिरुचि है। ये हिंदी में परास्नातक हैं। ये एक जानी-मानी वरिष्ठ कवियित्री और शायरा भी हैं। इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें “गीत पल्लवी “,दूसरी पुस्तक “गीतपल्लवी द्वितीय भाग एक” प्रमुख हैं। जिनमें इनकी लगभग 50 रचनाएँ हैं।

इतना ही नहीं ये निःस्वार्थ भावना से साहित्य की सेवा में लगी हुयी हैं। जिसके तहत ये निःशुल्क साहित्य का ज्ञान सबको बाँट रही हैं। इन्हें भारतीय साहित्य ही नहीं अपितु जापानी साहित्य का भी भरपूर ज्ञान है। जापानी विधायें हाइकु, ताँका, चोका और सेदोका में ये पारंगत हैं।

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धन्यवाद।

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1 Response

  1. Avatar Lk says:

    Thanks Aapne Bahut Achhi Post Likhi Hai

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