प्रिय पाठकों आप सभी के लिए प्रस्तुत है ( Prem Virah Kavita Hindi ) प्रेम विरह कविता हिंदी ” ह्रदय की व्यथा ” कालिका प्रसाद जी के शब्दों में , तो आइये पढ़ते हैं –
प्रेम विरह कविता हिंदी
प्रणय को निभाना
कठिन जिन्दगी में,
लहरियां दे थपकी तटों को सुलाती,
खिली प्रात कलियां, भ्रमर को बुलाती,
उड़ी गीत गाती लो, कोयल दिवानी,
कहां आज झंझा कहां वह कहानी,
रूको, मैं बताऊं तुम्हें वह निराशा,
कि सूखे दिनों में, कहां कौन आशा ।
हृदय वेदना जब उभरती सुमुखि, तब
तनिक मुस्कुराना कठिन जिन्दगी में।
यहां गीत होते किसी की व्यथा के,
यहां गीत होते दुखों की कथा के,
जलन बीच सोते गगन के सितारे,
यहां प्रात आते हैं आंसू की धारें,
पिहकर पपीहा मरे सारे किनारे,
न होते कभी , किन्तु दर्शन तुम्हारे।
बढ़ती व्यथा जब हृदय की प्रिये ,तब
मधुर गीत गाना कठिन है जिन्दगी में।
पढ़िए – प्रेयसी पर कविता “चाह प्रेम की दे दे प्रेयसी”
रचनाकार का परिचय –
नाम—कालिका प्रसाद सेमवाल
शिक्षा—एम०ए०, भूगोल, शिक्षा शास्त्र
आपदा प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास फाउंडेशन कोर्स विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बी०एड० सम्प्रति व्याख्यात
सेवारत —जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
प्रकाशित पुस्तकें–रूद्रप्रयाग दर्शन
अमर उजाला,दैनिक जागरण ,हिंदुस्तान व पंजाब केसरी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में धर्म संस्कृति व सम सामयिक लेख प्रकाशित होते हैं ,उत्तराखंड विघालयी शिक्षा की हमारे आसपास,कक्षा 3,4,5, और कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक लेखन समिति के सदस्य और लेखक भी हैं।
अब तक प्राप्त सम्मान—
रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यभूषण, साहित्य मनीषी,अन्य मानस श्री कालिदास सम्मान,उत्तराखंड गौरव साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा साहित्य रत्न, साहित्य महोपाध्याय सम्मानोपधि व देश की विभिन्न संगठनों द्वारा साहित्य में पचास से अधिक सम्मान मिल चुके है
पता—मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
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धन्यवाद।
इन पंक्तियों से मैथिली शरण गुप्त जी की शैली की याद आती है।
बहुत ही सुन्दर रचना सेमवाल जी
संदीप जी, प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।