आदमी पर कविता “आदमी अकेला है” – प्रिय पाठकों,आज की कविता है ” आदमी अकेला ही है -जीवन कविता ” कभी कभी हम सारे संशाधन होने के बाद भी खुद को जीवन में अकेला महसूस करते हैं , और ऐसी स्थिति में मन करता है कि सबसे दूर कुछ पल अपने साथ अकेले में बिताऊं और जीवन के महत्व को समझूँ की जीवन का उद्देश्य क्या है ईश्वर ने मानव को धरातल पर भेजा क्यूँ है ? इस तरह के अनेकों विचार यदि आपके मन में भी आते हैं तो आइये पढ़ते हैं –

आदमी पर कविता

आदमी अकेला ही है -जीवन कविता

हमारे
चारों ‌तरफ बहुत भीड़ है
बहुत कोलाहल है
फिर भी आदमी अकेला है

बहुत सारे रिश्ते हैं
पत्नी है, पुत्र है
दोस्तों का झमेला है।
फिर भी
बहुत अकेला है।

बहुत सारे
अधिकार है, कर्त्तव्य है
कई लोगों से
बहुत गहरा नाता है।
फिर भी आदमी अकेला है।

आदमी
हँसता भी है, गाता भी है,
कुछ गुनगुनाता भी है
लिखता भी है
और पढ़ता भी है
फिर भी आदमी अकेला ही है।

आदमी सोचता है
क्या? ले के आया था
और क्या ले के जाउंगा?
मन को कई बार समझाया है।
आज आदमी
कितना अकेला है?

सच में
आज आदमी बहुत अकेला है
उसके साथ है बस
उसके कर्म, व्यवहार ।
आज भी आदमी
बहुत अकेला है।

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रचनाकार का परिचय –

कालिका प्रसाद सेमवालनाम—कालिका प्रसाद सेमवाल
शिक्षा—एम०ए०, भूगोल, शिक्षा शास्त्र
आपदा प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास फाउंडेशन कोर्स विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बी०एड० सम्प्रति व्याख्यात
सेवारत —जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
प्रकाशित पुस्तकें–रूद्रप्रयाग दर्शन
अमर उजाला,दैनिक जागरण ,हिंदुस्तान व पंजाब केसरी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में धर्म संस्कृति व सम सामयिक लेख प्रकाशित होते हैं ,उत्तराखंड विघालयी शिक्षा की हमारे आसपास,कक्षा 3, 4, 5 और कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक लेखन समिति के सदस्य और लेखक भी हैं।

अब तक प्राप्त सम्मान—
रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यभूषण, साहित्य मनीषी,अन्य मानस श्री कालिदास सम्मान,उत्तराखंड गौरव साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा साहित्य रत्न, साहित्य महोपाध्याय सम्मानोपधि व देश की विभिन्न संगठनों द्वारा साहित्य में पचास से अधिक सम्मान मिल चुके है
पता—मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171


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