बहन के लिए कविता | Bahan Ke Liye Kavita

आप पढ़ रहे हैं बहन के लिए कविता :- बहन के लिए कविता बहन तो गुड़िया है मेरी, ओर मम्मी पापा है जान। मज़ाक मस्ती खूब वो करती, है उसका भय्या ही अभिमान। उसकी हर सुख दुःख खातिर, निछावर रहती हैं जान। बहन तो गुड़िया है मेरी, उसको भय्या का…

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जब नाराज होगी प्रकृति | पुस्तक समीक्षा

जब नाराज होगी प्रकृति - पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह ( जब नाराज होगी प्रकृति ) - निमिषा सिंघल जैसे समुद्र छुपा लेता है सारे शोर... नदियों, जीव जंतुओं के.. कविताएं भी मेरे लिए समुद्र से कम न थी! मैं भी कविता होना चाहती हूं... कविता को लेकर ये आसक्ति.. ये…

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हरि सिंह नलवा पर कविता | Poem On Hari Singh Nalwa

हरि सिंह नलवा पर कविता - महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल मे मुहम्मद शाह नाम के अफगानी लुटेरे ने भारत पर चढ़ाई की, और उसका प्रतिरोध करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह के महान योद्धा हरीसिंह नलवा ने कुशल नेतृत्व के साथ लड़ाई लड़ी। उनकी इसी वीरता को समर्पित…

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आया होली का त्योहार कविता | Kavita Aya Holi Ka Tyohar

आप पढ़ रहे हैं कविता आया होली का त्योहार :- आया होली का त्योहार आया होली का त्योहार, लाया खुशियों का अंबार, प्रफुल्लित हो पूरा परिवार मजा आ जाएगा ।। तो कुछ हों रंग गुलाबी लाल, गाल पे रंग दूं तेरे गुलाल, ये मौका मिल जाए हर साल मज़ा आ…

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हिंदी कविता गुमराह | Hindi Kavita Gumrah

आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता गुमराह :- हिंदी कविता गुमराह हम मनाते रहे बार बार, वो हर बार बिछड़ बैठे। मुझे यकीन था जिसपर, वो हमें ही गुमराह कर बैठे। हम देते रहे राह उसे, वो मेरा ही पथभर्ष्ट कर बैठे। नशे के नाम से दूर रहते हैं हम,…

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कविता पिता के लिए :- कभी धरती और आसमान है पिता

आप पढ़ रहे हैं कविता पिता के लिए :- कविता पिता के लिए कभी धरती और आसमान है पिता, मेरा अभिमान व स्वाभिमान है पिता,, बेशक जन्म दिया है मां ने पर, मेरी परवरिश का आधा ज्ञान है पिता, जो बचपन में मनमानी की थी मैने, हर उस जिज्ञासा की…

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खोटे सिक्के पर कविता :- एक दिन मैं भी चलूंगा

आप पढ़ रहे हैं खोटे सिक्के पर कविता :- खोटे सिक्के पर कविता . मै सिक्का हूं खोटा, एक दिन मै भी चलूंगा। भीख में कभी मस्जिद में, पुजारी की थाली में मिलूंगा। ख़ुश हूं किसान के हाथो में, अमीर के लॉकर में न सडूंगा। हक चुरा न ले कही…

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होलिका दहन पर कविता | Holika Dahan Par Kavita

आप पढ़ रहे हैं होलिका दहन पर कविता :- होलिका दहन पर कविता हर साल मुझकों जलाने का अर्थ क्या हुआ ?सोच से अपनें मेरें जैसे सामर्थ सा हुआँहाथ में मशाल वालों से पूछतीं हैं होलिकाजलाने का प्रयास मुझकों तेरा ब्यर्थ क्यों हुआ ? अपनें शान के अग्नि में ख़ुद…

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होली की कविता :- रंगो के इस मौसम में | Holi Ki Kavita

आप पढ़ रहे हैं होली की कविता :- होली की कविता रंगो के इस मौसम में, कुछ रंग यू आकर बिखर गए। धरा में मानो चित्रकार की, चित्रकारिता प्रखर गए। कुछ लाल रंग की लालिमा में, प्रेम को अपने पा गए। कुछ हरे रंग के साथ अपनी, हरितिमा को लुभा…

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पिता के लिए हिंदी कविता | Pita Ke Liye Hindi Kavita

आप पढ़ रहे हैं पिता के लिए हिंदी कविता :- पिता के लिए हिंदी कविता पिता के लिए कोई,,,, एक दिन नहीं होता,,,, सब के सब दिन खास होते हैं, घर के सूने आँगन में , पिता की यादों में माँ की नम आंखों ने,,,,,,, सब कुछ बयांँ किया। कुछ…

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जिंदगी की हिंदी कविता | Zindagi Ki Hindi Kavita

आप पढ़ रहे हैं जिंदगी की हिंदी कविता :- जिंदगी की हिंदी कविता जिंदगी होती है, संघर्ष की कहानी। जिंदगी जीने मे, हम कर जाते है नादानी। बचपन बीता, खेलने कूदने में। जवानी बीत गई, लड़कपन में। वृद्धावस्था में याद आया, जिंदगी का मकसद। समय निकाल दिया, जिंदगी के दंद-फंद…

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हिंदी कविता अनुरोध | Hindi Kavita Anurodh

आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता अनुरोध :- हिंदी कविता अनुरोध तंज.. छेद देते हैं अंतर्मन... नासूर बन जाते हैं यह जहर बुझे शब्द। घुटन... तेजाब बन जला देती है संवेदनाएं । अनबोलापन.... खा जाता है रिश्तों को। अकेलापन... भयभीत करता है। तेज आवाजें सच को छुपाने में अक्षम रहती…

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