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व्यवहार पर कविता
व्यवहार ही है,व्यक्ति की अनमोल पूंजी।
व्यवहार है जीवन के,अनसुलझे प्रश्नों की कुंजी।
आचरण और व्यवहार ही, व्यक्ति को देते है पहचान।
एक बार की मुलाकात से ही, बन जाते है अमिट निशान।
दूसरों का सम्मान व कद्र करके ही, बन सकते हो काबिल इंसान।
दूसरों की खुशी में हो खुशी,यह बने आपका ईमान।
ऊंचा ओहदा, आर्थिक संपन्नता पर, मत करो कभी अभिमान।
दूसरों के दिलों में तो, सौम्य व्यवहार ही दिलाता है सम्मान।
अपने व्यवहार को रखो ऐसा, कोई न समझे अपने को छोटा।
करोगे सबके साथ बराबरी,तो मोहब्बत का नही टोटा।
व्यवहार में रखो, हमेशा विनम्रता।
आंधी में अकड़ने वाला पेड़ ही उखड़ता, झुकने वाला बचता।
जिंदगी के साथ ही, मृत्यु भी है निश्चित।
साथ कुछ नहीं जाता, व्यवहार ही होता है परिलक्षित।
सादा जीवन उच्च विचार, रखो इस मंत्र का ध्यान।
मन, वचन व कर्म से, किसी भी जीव का नहीं हो नुकसान।
यही है सच्ची इबादत, जीवन का गहरा ज्ञान।
व्यवहार हो निर्मल व पाक, इससे ही बढ़ेगा आपका मान व सम्मान।
व्यवहार पर होता है असर, आपके आहार व विचार का।
सात्विक भोजन व सत्संग से ही, बनता है अच्छा व्यवहार।
अच्छी संगत व पंगत से, पैदा होता है परोपकार।
हमेशा करो छोटो से प्यार, बड़ों का आदर व सत्कार।
सब यहीं धरा रह जाएगा, साथ में जाता है आपका व्यवहार।
इसलिए हंसराज हंस कहता है, सच्चा व पाक रखो अपना व्यवहार।
पढ़िए :- उपहार पर कविता | Uphaar Par Kavita
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