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कविता बरसो मेघा प्यारे

कविता बरसो मेघा प्यारे

भयंकर गर्मी चहूं ओर, त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे सारे।
मोर बोले मेव आओ-मेव आओ,अब तो बरसो मेघा प्यारे।

उमड़ घुमड़ कर आओ, कर दो वारे-न्यारे‌।
ताल-तलैया सब भर दो, खूब बरसो मेघा प्यारे।

गगन में तेज गर्जना, चमके बिजली टमटम करते तारे।
चारों और छाये अंधेरा, मूसलाधार बरसो मेघा प्यारे।

वर्षा की बौछारों से,खूब हर्षे किसान बच्चे प्यारे।
सब गाते मस्ती में तराने, जल्दी बरसो मेघा प्यारे।

वन उपवन महक उठे, नवाकूंर व फूल खिले सारे।
बागों में कोयल कूंके, झमाझम बरसो मेघा प्यारे।

वर्षा जल अमृतधारा से, प्रकृति में दिखते कहीं नजारे।
हरियाली छाती चहूं ओर, जब बरसे मेघा प्यारे‌।

जीवन में उल्लास भरते, पेड़-पौधे पशु-पक्षी झूमते सारे‌।
अकाल को सुकाल बना दो, जमकर बरसो मेघा प्यारे।

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रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"
हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति ( रिसोर्स पर्सन ) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते। मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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