Sharad Ka Chaand Kavita | शरद का चाँद कविता

Sharad Ka Chaand Kavita – आप पढ़ रहे हैं शरद का चाँद कविता :-

Sharad Ka Chaand Kavita
शरद का चाँद कविता

Sharad Ka Chaand Kavita

शरद चांद उत्सव को,
होती है रात में अमृत वर्षा।
दूध चावल से बना व्यंजन, 
खीर पर होती है खूब चर्चा। 

लगा भोग शरद चांद के, 
करते है प्रसाद सभी ग्रहण। 
सभी का हो प्रसाद में अंश, 
करते है थोड़ा थोड़ा संग्रहण। 

शरद चांद से होती है,
मीठी मीठी सर्दी की शुरुआत 
इस दिन से ही होती है,
चांदनी की शुरुआत।

शरद चांद इस दिन होता है, 
चंद्र कलाओं से परिपूर्ण।
कर सोलह श्रृंगार प्रियतमा, 
पा के दर्शन हो जाती है संपूर्ण 

शारदीय नवरात्रा के बाद, 
आता है शरद चांद उत्सव। 
बासा नही अब कोई पकवान, 
देता है संदेश यह उत्सव। 

शरद पूर्णिमा पर्व है,
नव उल्लास आनंद का। 
जीवन में भरता है जोश,
पर्व है शरद ऋतु के आने का।

पढ़िए :- प्रेरणादायक कविता | बहारों का मौसम | Prernadayak Kavita


रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"

हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति ( रिसोर्स पर्सन ) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते।

मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

“ शरद का चाँद कविता ” ( Sharad Ka Chaand Kavita ) आपको कैसी लगी? Sharad Ka Chaand Kavita के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

You may also like...

1 Response

  1. Avatar Asharam Meena says:

    सर जी, आपकी रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा। समूचे विश्व में भारतवर्ष ही ऐसा देश है जहां ऋतुओं के आगमन को भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है और आपने रचना के माध्यम से प्रकृति की सुंदरता के बखान में चार चांद लगा दिए हैं।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *