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हिंदी कविता कृष्ण कन्हैया

हिंदी कविता कृष्ण कन्हैया

यशोदा का लल्ला,
कृष्ण कन्हैया।
वासुदेव देवकी को जायो,
बलराम है भैया। 

गौ पालक नटखट,
कृष्ण कन्हैया।
माखन चोर नटवर नागर,
कान पकड़कर समझावे यशोदा मैया।

कदम की डाल पर बैठ,
बंसी बजावे कृष्ण कन्हैया।
दौड़ी चली आवे गोपियां,
बरसाने की गुजरियां। 

खूब रास रचावे,
उनके संग कृष्ण कन्हैया।
राधा है उसकी पटरानी,
संग नाचे दोनों छैया छैया 

बाल ग्वाल खूब नचावे,
दे दे ताली कृष्ण कन्हैया। 
करे मसखरी हंसी ठिठोली,
नंदलाला है दही खिवैया।

रस्ते आती जाती गुजरियां की,
मटकी फोडे दे कंकरिया।
ओटन में छिप जावे,
खूब करें उनसे मसखरियां। 

गोपियों के सुन उलाहने,
कान पके यशोदा मैया। 
गोपियों को चैन नही आवे,
देखे बिन कृष्ण कन्हैया।

गुरु संदीपन से ले शिक्षा,
मित्रता निभाई सुदामा से। 
बृजवासियों को मुक्ति दिलाई,
मारकर कंस मामा से।

आई है जन्माष्टमी,
जन्मोत्सव मनाएंगे कृष्ण कन्हैया।
अर्धरात्रि में प्रकट होंगे,
पालने झूलेंगे यसोदा मैया।

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रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"

हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति ( रिसोर्स पर्सन ) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते।

मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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