Kavita Rakhi Ka Tyohar आप पढ़ रहे हैं कविता राखी का त्यौहार :-

कविता राखी का त्यौहार

कविता राखी का त्यौहार

मन भावन सावन में आता, राखी का त्यौहार। 
सखियों संग झूला झूलती, ननद भौजाई बार-बार।

सजा थाल बहना आती, बांधने राखी चमकदार।
हुलसी हुलसी फिरती, पहन चुनरी लहरेदार।

भैया के बांध राखी, करती है लाड प्यार। 
सब त्यौहारों मे खास है, राखी का त्यौहार।

लगा तिलक व चावल, टुकड़ा दे मुंह मे कटाव का। 
भैया का मुंह मीठा कराती है,यह त्यौहार है प्रेमभाव का।

बहना को अपने भैया पर, होता है बड़ा गुमान। 
हमेशा खुश होती है, भैया की देख बढ़ती शान।

छोटे का रखती है पूरा ध्यान, बड़े का करती है पूरा मान-सम्मान।
मां-बाप के बाद में, मायके में भैया है मेरी जान।

भैया की उतार आरती, करे लंबी उम्र की कामना।
सदा सुखी रखे भगवान, खूब फैलाए भैया का यशोगान।

भैया देता है बहना को,रुपए कपड़े और उपहार। 
और देता है आशीर्वाद, सदा सुखी रहे तेरा परिवार। 

सदा बनाए रखना,यह अनुपम प्यार।
भाई बहन के रिश्तों का, होता है राखी का त्यौहार।

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रचनाकार का परिचय

हंसराज "हंस"

हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति ( रिसोर्स पर्सन ) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते।

मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।

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