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मंजिल पर कविता
सबको याद रखना है, अपनी अपनी मंजिल।
जीवन में आए है, तो हासिल करना है मंजिल।
मंजिल दर मंजिल, चढ़ते जाना है हमें।
पर अपनी जड़ों को, याद रखना पड़ेगा हमें।
वैसे मंजिल पाना, होता नहीं आसान।
पर लगातार प्रयास ही, बना देते है उसे आसान।
जैसे नन्ही चींटी, दीवार पर चढ़ती है।
गिरती है बार-बार,पर निरंतर प्रयास करती है।,
एक समय ऐसा आता है, वह अपनी मंजिल को पा जाती है।
कोशिश करने वालों की, कभी हार नहीं होती है।
धीरे धीरे चल कर देखो, कछुए ने बाजी जीती है।
लगातार प्रयास से, एक दिन मंजिल अवश्य मिलती है।
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