Kalam Par Kavita – आप पढ़ रहे हैं कलम पर कविता ” उठे कलम जब ” :-
Kalam Par Kavita
कलम पर कविता
उठे कलम जब,
लेखक साहित्यकार की।
सृजन होती है रचनाएं,
भिन्न भिन्न प्रकार की।
देती है जीवन मे नव संदेश,
बदलाव की करती है पुकार।
बुराइयों को देता है चुनौती,
उठा कलम रचनाकार।
उठे कलम जब,
देख शोषक का अत्याचार।
विचारों को लिखे बिना,
नही रह सकता कलमकार।
उठा कलम जब,
व्यंग लिखता है व्यंग्यकार।
करके जड़ पर वार,
मचा देता है हाहाकार।
नही है कवि का धर्म,
जो बने किसी का चाटुकार।
उठा कलम अपनी,
करता है ज्ञान का प्रसार।
कलम की ताकत है,
तलवार से भी तेज।
उठा कलम नहीं करता,
सत्य लिखने से परेहेज।
पढ़िए :- कलम पर कविता | कलम की ही जय कहूँगा
रचनाकार का परिचय
हंसराज “हंस” जी गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है। शिक्षा मे नवाचारों के पक्षधर है। “हैप्पी बर्थडे” “गांव का अखबार” इनके शैक्षिक नवाचार है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति ( रिसोर्स पर्सन ) के रूप में 8-10 वर्षों का अनुभव रखते है। तात्कालिक मुद्दों, जयंतियों व सामाजिक कुरीतियों पर आलेख लिखते रहते।
मौलिक लेख विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व देश व प्रदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इसके साथ ही न्यूज पोर्टल व सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वेबीनारो व फेसबुक लाइव प्रसारण पर विभिन्न मंचों के माध्यम से अपने मौलिक विचारों का प्रकटीकरण करते रहते है। शिक्षक संगठन व सामाजिक संगठनों में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करते हुए निरंतर सामाजिक सुधारों की ओर अग्रसर है।
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