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हिंदी कविता बिटिया रानी
बेटी है घर की शान,
बेटी के बिना घर वीरान।
बेटी में ही रचा है ज़हान,
बेटी जब ही तो है महान।
बेटी हो कितनी ही पराई,
बेटी है मां की परछाई।
बेटी करे आज आह्वान,
बेटी सब बने विद्धवान।
बेटी की खुशी मे बहार,
बेटी ही बने खैवनहार।
बेटी करते है भाग्यवान,
बेटी से होता यशोगान।
बेटी है अनुपम रचना,
बेटी दाता की कल्पना।
बिटिया होती है रानी,
बिटिया ही है निशानी।
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