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हिंदी कविता मुन्ने की पोथी
मेरी पोथी हो सबसे न्यारी।
न ज्यादा मोटी न भारी।
मुझे लगती है बड़ी प्यारी।
उसमें खूब सारे हो चित्र।
मैं खूब करू उनसे बातें।
मेरा हो पन्ना उसमें एक।
मैं काम करूं सारी रातें।
उसमें कई सारे हो खेल।
पहेलियों का भी हो मेल।
मोटे मोटे हो आखर।
उंगली फेरू मैं चाहकर।
कहानी, कविता भी हो।
छोटे छोटे हो बाल गीत।
गाते गाते बने सब मीत।
ऐसी पुस्तक बनाओ मेरी।
पापा में पढ़ूंगा हर रोज।
पढ़ाई नहीं लगेगी बोझ।
फिर खूब होगी मेरे मौज।
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