भारत में लोग भाषण तो हर विषय पर दे लेते हैं लेकिन जब बात आती है खुद उन बातों पर खरे उतरने की। तब बहानेबाजी करने लगते हैं। समझदार होने का नाटक तो सभी करते हैं मगर समझदारी दिखाते नहीं। कैसे आइये पढ़ते हैं हिंदी कविता समझदारी और बदलाव में :-
हिंदी कविता समझदारी और बदलाव
देखो समझदार बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
हेलमेट रखते है पर लगाते नही।
लगाते है जो भी बेल्ट बांधते नही।
समझदार तो बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
सरकारी सेवा, कार्मिकों को बुरा बताते सभी।
पर मिले नौकरी सरकारी, चाहते सभी।
समझदार तो बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
बताते है सभी,कहते है सभी, सहयोग करो।
पर मौका मिलते ही टांग खींचते है सभी।
समझदार तो बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
सत्यता, ईमानदारी का पाठ पढ़ाते सभी।
पर अवसर मिलते ही भूनाते सभी।
समझदार तो बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
कानूनों, नियमों की दुहाई देते सभी।
पर चूंगल मे फंसे तो भूल जाते है सभी।
समझदार तो बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
घूसखोरी, लूट-खसोट को बुरा बताते सभी।
पर चुपके से फीस देकर काम कराते सभी।
समझदार तो बहुत है।
पर समझदारी दिखाते नही।
हंसराज “हंस” कहता भला इसी मे है।
समझदार होना ही नही जरूरी।
समझदारी दिखाना भी है जरूरी।
अगर बदलाव लाना है जरूरी।
तो समझदार होने के साथ समझदारी दिखाना भी है जरूरी।
रचनाकार का परिचय

“ हिंदी कविता समझदारी और बदलाव ” ( Hindi Kavita Samajhdari Aur Badlav ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
Leave a Reply