आप पढ़ रहे हैं बहन के लिए कविता :-

बहन के लिए कविता

बहन के लिए कविता

बहन तो गुड़िया है मेरी,
ओर मम्मी पापा है जान।

मज़ाक मस्ती खूब वो करती,
है उसका भय्या ही अभिमान।

उसकी हर सुख दुःख खातिर,
निछावर रहती हैं जान।

बहन तो गुड़िया है मेरी,
उसको भय्या का अभिमान।

मेरी हर नाराज़गी से,
वो होती हैं नाराज़।

मेरी हर टेंशन को,
बहना कर देती हैं ख़ाक।

मैं जगड़ता, वो रूठती,
फिर मिल जाते जनाब।

बहने तो परिया है मेरी;
सिर्फ़ मिला नहीं”पर” और “ताज”!

पढ़िए :- बहन पर कविता – काश मेरी भी इक बहन होती | Bahan Kavita


रचनाकार का परिचय

नटवर चरपोटा

यह कविता हमें भेजी है नटवर चरपोटा जी ने नई आबादी गामड़ी, प. स. तलवाड़, ज़िला बांसवाड़ा, राजस्थान से।

” बहन के लिए कविता ” ( Bahan Ke Liye Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply