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बहन के लिए कविता
बहन तो गुड़िया है मेरी,
ओर मम्मी पापा है जान।
मज़ाक मस्ती खूब वो करती,
है उसका भय्या ही अभिमान।
उसकी हर सुख दुःख खातिर,
निछावर रहती हैं जान।
बहन तो गुड़िया है मेरी,
उसको भय्या का अभिमान।
मेरी हर नाराज़गी से,
वो होती हैं नाराज़।
मेरी हर टेंशन को,
बहना कर देती हैं ख़ाक।
मैं जगड़ता, वो रूठती,
फिर मिल जाते जनाब।
बहने तो परिया है मेरी;
सिर्फ़ मिला नहीं”पर” और “ताज”!
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रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है नटवर चरपोटा जी ने नई आबादी गामड़ी, प. स. तलवाड़, ज़िला बांसवाड़ा, राजस्थान से।
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